आपका भाग्य बदल देंगे रंगभरी एकादशी के ये 5 उपाय!

एकादशी तिथि भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होती है। वहीं, माना जाता है कि रंगभरी एकादशी तिथि के दिन भगवान शिव माता पार्वती को लेकर पहली बार काशी पहुंचे थे। इस एकादशी को आमलकी नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व के दिन काशी में बड़ा उत्सव मनाया जाता है। इसी एकादशी से ही होली की शुरुआत मानी जाती है। यह पर्व सांसारिक जीवन को महत्व प्रदान करता है।

रंगभरी एकादशी का पर्व फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। साल 2025 में यह 10 मार्च को पड़ रही है। इस साल एकादशी तिथि 9 मार्च की सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी और यह 10 मार्च को सुबह 7 बजकर 44 पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 10 मार्च को रंगभरी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 34 से सुबह 11 बजकर 3 तक है। वहीं, व्रत का पारण 11 मार्च की सुबह 6 बजकर 35 से सुबह 8 बजकर 13 के बीच कर सकते हैं।

यह है पौराणिक महत्व
माता सती के आत्मदाह के बाद जब भगवान शिव घोर साधना में लीन हो गए थे तो तब गिरिराज हिमालय के घर माता पार्वती का जन्म हुआ। माता पार्वती देवी सती का ही पुर्नजन्म थीं। उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए काफी तप किया था। इसके बाद महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। वहीं, विवाह के बाद फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को शिव और पार्वती ने गृहस्थ जीवन का शुभारंभ किया था। इसी कारण आज भी माता पार्वती की पालकी भगवान शिव के साथ उनके धाम काशी विश्वनाथ आती है। इस दौरान लोग रास्ते में खूब अबीर और गुलाल से होली खेलते हैं। मान्यता है कि रंगभरी एकादशी पर अगर कुछ उपायों को कर लिया जाए तो लाइफ की कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि रंगभरी एकादशी पर कौन से उपायों को करें।

रंगभरी एकादशी पर कर लें ये उपाय
शिवलिंग और माता पार्वती को गुलाल अर्पित करें। इससे मानसिक शांति मिलती है और जीवन की समस्याओं का अंत हो जाता है।
इसदिन व्रत करने और शिव पुराण सुनने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है।
रंगभरी एकादशी के दिन एक लाल रंग का सूती कपड़ा लेकर उसमें गुलाल और एक सुपारी रखकर गांठ लगा दें। इसको अपनी बेडरूम की अलमारी में रख लें। इससे वैवाहिक जीवन की समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
रंगभरी एकादशी के दिन केले के पेड़ की पूजा करें और कलावा बांधते हुए 7 परिक्रमा लगा लें। इसके बाद 1 मुट्ठी चावल को लाल कपड़े में बांधकर केले के पेड पर टांग दें। अगले दिन द्वादशी तिथि को यह पोटली अपने घर लाकर तिजोरी में रखें। इससे आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाएगी। पैसा आने के मार्ग भी खुल जाते हैं।

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