आमलकी एकादशी के दिन बस कर लें इस चालीसा का पाठ, हर काम में मिलेगी तरक्की!

एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. एकादशी का व्रर माह शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता हैं, लेकिन फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी कहा जाता है. इसे आंवला एकादशी के नाम से भी जाना जाना जाता है. इस बार आमलकी एकादशी का व्रत 10 मार्च 2025 को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के साथ आंवले के वृक्ष की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इसके अलावा पूजा के बाद विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.

दोहा
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ।।

श्री विष्णु चालीसा |Shree Vishnu Chalisa
नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ।।

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ।।

शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ।।

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ।।

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।

करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ।।

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।

भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ।।

आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया।।

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया।।

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ।।

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।

मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ।।

असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।

हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई।।

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी।।

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी।।

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।

गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे।।

हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।

देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे।।

चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।

जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ।।
शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।

करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ।।

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।

सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ।।

दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।

पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ।।

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।

निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै।।

आमलकी एकादशी का महत्व |Amalaki Ekadashi 2025 Significance
मान्यता के अनुसार, आमलकी एकादशी व्रत सैकड़ों तीर्थयात्राओं और यज्ञों के बराबर पुण्य देता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष मिलता है. इससे जीवन के दुख दूर होते हैं और सुख-समृद्धि आती है. यह व्रत जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है और साथ ही करियर कारोबार में आगे बढ़ने के प्रयासों को सफलता मिलती है.

  • Related Posts

    ऐसे गहनों का सपने में दिखना होता है अशुभ, देता है अकाल मृत्यु के संकेत

    जिंदगी में होने वाली घटनाओं का आभास कभी कभार सपनों में भी हो जाता है। हर सपने का एक खास मतलब होता है, जो व्यक्ति को कोई न कोई संकेत…

    Read more

    व्यापार के दाता बुध का रत्न है पन्ना, पहनने से इन राशियों की खुल सकती है किस्मत, जानिए धारण करने के नियम और लाभ

    वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए रत्नों और मंत्रों का वर्णन मिलता है। आपको बता दें कि रत्न शास्त्र में प्रमुख 9 रत्नों का…

    Read more